Tear Gas Name in Hindi: रुलाने वाली गैस कौन सी है? या आंसू गैस (Tear gas) किसे कहा जाता है? यदि आपके मन भी यह सवाल है तो आजे इस आर्टिकल में रुलाने वाली गैस का नाम जानेंगे। आपने अक्सर न्यूज़ में सुना होगा की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस वालों ने भीड़ ने आंसू गैस के गोले फेक दिए है। इसके कारण भीड़ में उपस्थित लोगों की आँखों से आंसू आने लगते है और आँखों में जलन होने लगती है जिससे भीड़ में एकत्रित लोग वहां से भाग जाते हैं। आइजे जानते है की आंसू गैस या टियर गैस (ashu gas ka rasayanik naam) किसे कहते है।
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आंसू गैस का रासायनिक नाम क्या है – Ashru gas ka rasayanik naam kya hai
क्लोरोपिक्रिन (Chloropicrin) को टियर गैस या रुलाने वाली गैस (Rulane wali gas) कहा जाता है। इसके अलावा अश्रु गैस को क्लोरो एसीटोफिनोन (Chloroacetophenone) भी कहा जाता है। अर्थात हम कह सकते है कि आंसू गैस का रासायनिक नाम (ashru gas ka chemical name) क्लोरोपिक्रिन या क्लोरो एसीटोफिनोन है। आंसू गैस को अंग्रेज़ी में Tear gas या Lachrymator कहा जाता हैं।
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आंसू गैस का रासायनिक सूत्र – Tear gas formula in Hindi
आंसू गैस को अंग्रेज़ी में टियर गैस कहा जाता है। अश्रु गैस को क्लोरोपिक्रिन के नाम से जाना जाता है अर्थात क्लोरोपिक्रिन इसका रासायनिक नाम है। आंसू गैस का रासायनिक सूत्र (ashru gas ka formula) CCl3NO2 है, यह एक कार्बनिक यौगिक है।
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आशु गैस के उपयोग – Aashu gas ke upayog in Hindi
आंसू गैस का उपयोग पुलिस अनियंत्रित (Uncontrolled) भीड़ को कन्ट्रोल में करने के लिए करती है। आशु गैस एक प्रकार से हथियार है जिससे व्यक्ति की मृत्यु तो नहीं होती है पर वह थोड़ा घायल हो जाता हैं, यह एक अमृत्युकर हथियार है। जब भीड़ में दो दलों के लोगों के बीच दंगे हो जाते है तो पुलिसकर्मी निर्दोष लोगों को मार नहीं सकते इसलिए वह रुलाने वाली गैस के गोलों का प्रयोग करते हैं।
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आंसू गैस के प्रभाव – Tear gas effects in Hindi
आंसू गैस के प्रभाव व्यक्ति की आँखों पर बुरा पड़ता है क्योंकि यह हमारी आँखों के लिए अधिक संवेदनशील होती है। जब यह अश्रु गैस (क्लोरोपिक्रिन) व्यक्ति की आँखों के संपर्क आती तो इसकी तीव्रता के कारण आँखों से आंसू आने लगते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि इससे कॉर्निया (Cornea) के स्नायु उत्तेजित हो जाते है। अश्रु गैस के कारण व्यक्ति की आँखों में जलन होने लगती हैं और आँखें लाल हो जाती है। कभी-कभी आशु गैस के दुष्प्रभाव आपकी आँखों से लेकर आपकी श्वसन तंत्र और श्वसन नलिका को प्रभावित करते है। आशु गैस से होने वाली एलर्जी में व्यक्ति को छीकों का आना, सिर दर्द करना, चक्कर आना और उलटी (Vomiting) होना आदि शामिल है।
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आश्रू गैस के इतिहास – History of tear smoke in Hindi
आंसू गैस का इतिहास बहुत पुराना है, इसका अविष्कार सन 1900 में हुआ था। रुलाने वाली गैस का सबसे पहले इस्तेमाल फ्रांस की पुलिस ने प्रथम विश्व युद्ध के शुरू होने से पहले किया था।
कर्नल अप्लगेट रेक्स (Col Applegate Rex) जो एक अमेरिकन मिलिट्री ऑफिसर थे, उनको अमेरिका में राईट कण्ट्रोल साइंस का पिता कहा जाता है। उन्होंने अपनी बुक “राईट कण्ट्रोल मैटेरियल्स और टेक्निक्स (Right Control Material aur Technical)” में लिखा है की आश्रू गैस का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध से पहले से ही शुरू है।
फ्रांस के बाद अमेरिका में भी आंसू गैस का इस्तेमाल असामजिक तत्वों को कण्ट्रोल करने के लिए किया जाने लगा। प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अमेरिकी सेना से निकले गए लोगो ने अमेरिका में सरकार के खिलाफ आंदोलन और लूट मार शुरू कर दिया था। उनको कण्ट्रोल करने के लिए अमेरिका ने भी प्रथम युद्ध के बाद आश्रू गैस का इस्तेमाल शुरू किया गया था।
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टियर गैस से संबंधित अन्य प्रश्न – Tear gas Related questions in Hindi
- रुलाने वाली गैस का नाम क्लोरोपिक्रिन या क्लोरो एसीटोफिनोन है।
- रोने वाली गैस का नाम क्लोरोपिक्रिन या क्लोरो एसीटोफिनोन है।
- आंसू गैस का नाम क्लोरोपिक्रिन या क्लोरो एसीटोफिनोन है।
- टियर गैस क्लोरोपिक्रिन या क्लोरो एसीटोफिनोन को कहते हैं।
- अश्रु गैस क्लोरोपिक्रिन या क्लोरो एसीटोफिनोन को कहा जाता है।
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