यदि आप भारत में कुल कितनी जनजाति है और भारत की सभी जनजातियां एवं उनके क्षेत्र के बारे में जानना चाहते है (Bharat ki Janjatiya in Hindi) तो यह आर्टिकल आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं। आइये विस्तार से जानते है कि कौन सी जनजाति कहाँ पाई जाती है?
भारत की प्रमुख जनजातियां निम्न हैं-
भील जनजाति
- भील जनजाति भारत की सबसे बड़ी जनजाति है। भील शब्द का अर्थ ‘धनुष’ होता है जिसकी उत्पत्ति द्रविड़ के ‘बील’ से हुआ है।
- यह भारत एक प्रमुख जनजाति है, ये जनजाति मुख्यता राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं त्रिपुरा राज्य में पाई जाती है।
गोंड जनजाति
- गोंड भारत की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है जो भारत के लगभग 13 राज्यों में निवास करती है। यह जनजातियां मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश उड़ीसा एवं आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में निवास करती है।
- भील जनजाति द्रविड़ परिवार की जनजाति है इनकी भाषा गोंडी हैं। इनके मुख देवता बुढादेव, दूल्हादेव, बुड्डापेन हैं। इन जनजातियों का भूत प्रेत और जादू टोना में अत्यधिक विश्वास होता है।
मुंडा जनजाति
- मुंडा जनजाति की भाषा ‘मुंडा’ हैं। यह भाषा ऑस्ट्रिक परिवार की भाषा है। जिसमें वन, पर्वत, पशुपालन संबंधित शब्द अत्यधिक होते हैं। मुंडा जनजाति का प्रमुख त्योहार ‘सरहुल’ है।
- मुंडा जनजाति मुख्य रूप से झारखंड निवास करती है। लेकिन इसका कुछ हिस्सा बिहार पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा आदि राज्यों में भी निवास करते है।
टोडा जनजाति
- टोडा जनजाति में मुख्य प्रचलित भाषा ‘टोडा’ है, ये लोग समूह में निवास करते हैं।
- टोडा जनजाति पशुपालन का काम करती है। नीलगिरी की पहाड़ियों (दक्षिण भारत) पर निवास करती हैं।
- टोडा जनजाति में कन्या बद्घ प्रथा के कारण में बहुपति विवाह प्रथा प्रचलित है।
भोटिया जनजाति
- भोटिया जनजाति के अधिकांश लोग पर्वतीय स्थानों पर निवास करते हैं। भोटिया जनजाति उत्तराखंड के अल्मोड़ा, चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिलों मे रहते हैं।
- भोटिया शब्द भोट शब्द से आया है, जो तिब्बती मूल के लोगों के लिए पारंपरिक नाम है। भोटिया को पहाड़ी लोगों के रूप में जाना जाता है। वे आमतौर पर हिंदी, नेपाली, कुमाऊँनी और गढ़वाली में बात करते हैं।
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संथाल जनजाति
- यह भारत में पाई जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी जनजाति है। संथाल जनजाति का मुख्य निवास क्षेत्र झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं असम राज्य में हैं।
- संथाल जनजाति के लोग कुशल कृषक एवं उत्तम शिकारी होते हैं। इस जनजाति की शारीरिक विशेषता नाटे कद एवं चौड़ी और चपटी नाक है।
नागा जनजाति
- नागा जनजाति भारत के नागालैंड राज्य में मुख्य रूप से निवास करती है इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी निवास करती हैं।
- नागा लोग कुशल जोधा होते हैं एवं भाला उनका प्रमुख अस्त्र है इनका प्रमुख त्यौहार मिथन हैं। नागा जनजाति ने नागिनी सिनेमा की एक अलग भाषा का विकास किया है जो विभिन्न नागा एवं असमिया भाषा का मिश्रित रूप है।
बोड़ो जनजाति
- बोड़ो जनजाति मूल रूप से भारत के असम राज्य में निवास करती है। यह लोग बोडो भाषा बोलते हैं जो तिब्बत-वर्मा भाषा परिवार की ही एक शाखा है।
- बोड़ो जनजाति समूह कछारी, गारो, मेच, डिमसा आदि कई जनजातियों से मिलकर बना है। बोडो जनजाति को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत रखा गया है।
थारू जनजाति
- थारू जनजाति उत्तर प्रदेश के सीमा से लगे नेपाल तथा उत्तराखंड के उधम सिंह नगर क्षेत्र में मुख्य रूप से प्रवाश करती है।
- थारू जनजाति हिंदू धर्म को मानते हैं तथा हिंदुओं के सभी त्योहार को मानते हैं। थारू जनजाति दीपावली को शोक पर्व के रूप में मानते थे। लेकिन वर्तमान में दीपावली को शोक पर्व के रूप में नहीं मानते हैं।
मीणा जनजाति
- मीणा जनजाति राजस्थान में जनसंख्या की दृष्टि से प्रथम स्थान है। यह राजस्थान के लगभग सभी जिलों में निवास करती है।
- मीणा शब्द की उत्पत्ति ‘मीन’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ ‘मछली’ होता है। मीणा जाति अपनी उत्पत्ति विष्णु के 10 वें अवतार से मानती है।
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भारत की प्रमुख जनजातियां एवं उनके क्षेत्र
राज्य | जनजातियां |
बिहार | थारू, उरांव, खरवार, संथाल, गोंड, बिरहोर, कोल, कोरबा, कोरा, हो, जनजातियां |
उत्तर प्रदेश | जौनसारी, थारू, गोंडा, सहरिया, खरवार, बुक्सा, पतरी |
छत्तीसगढ़ | गोंड, अगरिया, मुंडिया, बैंगा, कोरकू, परजा, परधान, सहरिया |
मध्य प्रदेश | भील, गोंड, अगरिया, बिंझवार, परेशान, खरवार, कोल, कोरकू, सहरिया, ओझा, बैगा जनजातियां |
राजस्थान | मीणा, भील, कोकना, गर्सिया, थारी, पटेलिया, सहरिया जनजातियां |
झारखंड | संथाल, मुंडा, हो, उरांव, बिरहोर, कोरवा, बैगा, नागेसिया, असुर |
हिमाचल प्रदेश | गद्दी, गुज्जर, भोटिया, बेदा, लंबा, खंपा, डोंबा, गारा, किन्नौर |
गुजरात | भील, बरदा, कोली, डबरा, खारी, चारण, रथवा जनजातियां |
अरुणाचल प्रदेश | अबोर, दफला, अपातामी, खोवा, गालो, मोंबा, मिस्मी |
ओडिसा | खोंड, कोल्हा, गोंड, मुंडा, बोंडा, महाली, संथाल, मुआंग, खरिया, डोंगरिया, कोंध |
पश्चिम बंगाल | संथाल, उरांव, भूमजी, मुंडा, लोधा |
केरल | पनियान, मवियान,नायर, दाफर, उराली, चेंचु, मोपला, सुमली, इरुला |
उत्तराखंड | जौनपुरी, थारू, बुस्का, भोटिया, राजी |
सिक्किम | भोटिया, लिम्बु, लेपचा, तमांग |
असम | बोरो, मिरी, कर्बी, राभा, कछारी, सोनवाल, लुसाई जनजातियां |
मणिपुर | कुकी, तांगखुल, थाडो, नागा, मैठी |
नागालैंड | नागा, कोन्याक, अंगामी |
मेघालय | गारो, खासी, जयंतियां, भोई, मिकिर |
मिजोरम | मिजो, पावी, लाखर, चकमा |
त्रिपुरा | रियांग, त्रिपुरी, जमातिया, चकमा |
अंडमान एवं निकोबार | अंडमानी, सेंटलिज, जरवा, जारण, बैकडा, शोम्पेन, येरे, कोरा, ताबु |
लक्षदीप | वासी जनजातियां |
पुदुच्चेरी | इरुलुर |
आंध्र प्रदेश | बंजारा, लबांडा, सुगली, कुबी, बगात, सवारा, चेंचू, बकला |
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