Fundamental Rights in Hindi: क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार कितने है और उनका नाम क्या है? मौलिक अधिकार को अंग्रेजी में फंडामेंटल राइट्स (Fundamental Rights in Hindi) कहा जाता है। मौलिक अधिकार हमारे संविधान का प्रमुख अंग हैं। ये हमारे देश के नागरिकों के लिये बहुत ही जरूरी है इनका वर्णन संविधान भाग 3 में किया गया है। इसी तीसरे भाग को भारत का अधिकार पत्र कहा जाता है। व्यक्ति के मूल अधिकारों की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय होता है।
ये फंडामेंटल राइट्स देश के सभी नागरिकों को स्वतंत्रता प्राप्त कराते हैं। जिससे कि वह देश में शांतिपूर्वक तथा स्वतंत्रता पूर्वक रह सकते है। किंतु आपात काल के समय मौलिक अधिकारों में से स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य सभी अधिकारों को स्थगित कर दिया जाता है। भारत के संविधान में हमारे देश के नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार प्राप्त थे। किंतु 44 वें संविधान संशोधन मैं संपत्ति का अधिकार को सूची से हटा दिया गया हैं। आइये फंडामेंटल राइट्स कितने है 2021 इसे विस्तार से जानते हैं।
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मौलिक अधिकार के प्रकार – Maulik Adhikar ke Prakar
हमारे संविधान में 6 प्रकार के मूल अधिकारों का वर्णन हैं। नीचे मौलिक अधिकार कितने है, (Maulik adhikar kitne prakar ke hote hain) इसको विस्तार से बताया जा रहा है। –
1. समता या समानता का अधिकार
2. स्वतंत्रता का अधिकार
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
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आइये जानते है कि हमारे भारत में कितने मौलिक अधिकार है और उसके अंतर्गत क्या क्या आता है।
समता या समानता का अधिकार (Right to Equality)
इस अधिकार के अंतर्गत राज्य के सभी नागरिकों को जाति, धर्म व लिंग के आधार पर किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जायेगा। समानता का अधिकार के अंतर्गत राज्य का कानून सभी व्यक्तियों पर एक समान लागू होगा।
स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom)
स्वतंत्रता का अधिकार के अंतर्गत व्यक्ति को देश के किसी भी हिस्से में रहने, शिक्षा प्राप्त करने, व्यवसाय करने आदि की स्वतंत्रता प्राप्त है। इस अधिकार के अंतर्गत देश के नागरिकों को बोलने, संघ बनाने, आवागमन आदि की स्वतंत्रता प्राप्त है।
शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation)
इस अधिकार के अंतर्गत बाल मजदूरी आती है अर्थात बड़े-बड़े कारखानों होटलों एवं अन्य ऐसी जगह जहां पर श्रमिकों की आवश्यकता होती है वहाँ पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से अधिक कार्य करवाया जाता है एवं उनके कार्य की अपेक्षा में उनको कम पैसा दिया जाता है जिससे उनका शोषण होता है और उनका भविष्य अंधकार की ओर अग्रसर हो जाता हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom of Religion)
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार के अंतर्गत हमारे देश के हर एक नागरिक को कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता प्राप्त है एवं उसका प्रचार करने की भी स्वतंत्रता प्राप्त है। यदि वह अपने धर्म को छोड़कर किसी दूसरे धर्म को अपनाना चाहता है तो वह अपना सकता है इसके लिए उस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (Cultural and Educational Rights)
इस अधिकार के अंतर्गत हमारे देश के किसी भी वर्ग के नागरिकों को अपनी लिपि, भाषा और संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार है। इसके अंतर्गत कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी योग्यता के अनुसार शिक्षा संस्था चला सकता है।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)
संवैधानिक उपचारों के अधिकार को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान का ‘हृदय’ माना है। इस अधिकार के अंतर्गत पांच प्रकार के प्रावधान आते हैं।
1. बंदी-प्रत्यक्षीकरण
2. परमादेश
3. प्रतिषेध-लेख
4. उत्प्रेषण
5. अधिकार पृच्छा-लेख
बंदी-प्रत्यक्षीकरण – ‘बंदी-प्रत्यक्षीकरण’ उस व्यक्ति के आवेदन पर जारी किया जाता है जो यह समझता है कि उसे बिना किसी अपराध के बंदी बनाया गया है। आवेदन प्राप्त होते ही न्यायालय द्वारा उन अधिकारियों को आदेश दिया जाता है जिन्होंने उस व्यक्ति को बंदी बनाया था कि वह उस बंदी बनाए गये व्यक्ति को निश्चित समय और निश्चित स्थान पर उपस्थित करें ताकि न्यायालय इसके बारे में विचार करे कि उसे बंदी क्यों बनाया हैं।
परमादेश – परमादेश’ या ‘आज्ञापत्र’ उस समय जारी किया जाता है जब न्यायालय (सरकार) को यह ज्ञात है कि कोई पदाधिकारी अपने कानूनी और सार्वजनिक कर्तव्य का पालन सही तरह से नहीं करता है जिसके कारण किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं तब यह आज्ञापत्र या परमादेश जारी किया जाता है।
प्रतिषेध-लेख – यह आज्ञापत्र उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किये जाता है। जब कोई निचली अदालत अपने ‘अधिकार क्षेत्र’ से बाहर के मुकदमे या मामले की कार्यवाही करती है तो उस मामले को रोकने या उस पर कार्यवाही न करने के लिए ‘प्रतिषेध-लेख’ को आदेश के रूप जारी किया जाता है।
उत्प्रेषण – इसके अंतर्गत कोई अधिकारी या निचली अदालत बिना किसी आदेश या अधिकार के कोई भी कार्य करती है तो न्यायालय उस मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण द्वारा उच्च अदालत या उच्च अधिकारी को भेज देता है।
अधिकार पृच्छा-लेख – ‘अधिकार पृच्छा-लेख’ के अनुसार जब कोई व्यक्ति ऐसे पदाधिकारी के रूप नियुक्त होता है या कार्य करने लगता है जिस पर कार्य करने के लिए उसके पास कोई ‘कानूनी अधिकार’ नहीं होता है तो न्यायालय ‘अधिकार पृच्छा-लेख’ के द्वारा आदेश जारी करके उसको कार्य करने से रोक देता है और जब तक वह व्यक्ति अपने पक्ष में पूर्ण तरह से स्पष्टीकरण नहीं देता है तब तक वह कार्य नहीं कर सकता है।
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Fundamental Rights in Hindi PDF Download
यदि आप मौलिक अधिकार पीडीएफ को डाउनलोड करना चाहते है, तो यहाँ पर fundamental rights notes pdf in hindi को दिया गया है जिसे आप फ्री में Download कर सकते है। भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार pdf को डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गई बटन पर क्लिक करें।
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